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suryavedi
शुक्रवार, 18 जुलाई 2014
जिंदगी जैसे नार छिनार
जिंदगी जैसे नार छिनार ,
मिथ्या साँसों का व्यव्हार !
सकल व्यापार है बेमानी ,
मनुज मन ढोता है लाचार.....!!
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