गढ़ कुंडार
गढ़ कुंडार का किला मऊरानीपुर से ५० कि०मी० की दूरी पर बना हुआ है !यह ११ वीं शताब्दी में जुझौती प्रदेश की राजधानी था ! गढ़ कुंडार उस समय उत्तर भारत का एक बड़ा शहर था ! सन ११८२ ई० में महाराज खेत सिंह खंगार ने चंदेलों के समय से आबाद इस सैनिक मुख्यालय के स्थान पर अजेय दुर्गम दुर्ग का निर्माण करवाया था ! घने जंगलों और पहाड़ों के बीच बना यह किला दूर से तो दिखाई देता है किन्तु जैसे जैसे इसके नजदीक पहुँचते हैं यह दिखाई देना बंद हो जाता है !आक्रमण की द्रष्टि से यह पूर्ण सुरक्षित है अतः इसे दुर्गुम दुर्ग कहा जाता है !यह किला उत्तर भारत की सबसे प्राचीन ईमारत है ! यह पहाड़ों की ऐसी ऊंचाई पर बना है कि तोपों के गोले इसे नहीं तोड़ सकते थे लेकिन इस किले से बहुत दूर तक दुश्मन को देखकर उसे आसानी से मारा जा सकता था !
हस्तिपथ द्वारा इस किले तक आसानी से पहुंचा जा सकता है सिंह द्वार के बाहर दो चबूतरे हैं जिन्हें दीवान चबूतरा कहते है ! सिंहद्वार की ऊंचाई लगभग २० फुट है तथा लम्बाई ८० फुट है !सिंहद्वार से लगा हुआ परकोटा राजमहल को चारों तरफ से घेरे है जिसकी मोटाई लगभग ६ फुट है ! सिंह द्वार को पार करने पर सिंहपौर है इसके बाद तोप खाना है जहाँ राजाओ के समय तोपें रखी जाती थीं !
राज महल के बाहर एक घुडसाल है जहाँ राजा के घोड़े बांधे जाते थे !इस घुडसाल के ११ दरवाजे हैं तथा यह १८ फु० चौड़ी और १०० फ़ु० लम्बी है ! इसके सामने एक चक्की लगी है जिससे चूना पीसने का काम होता था ! इसी घुडसाल के सामने बना हुआ है भव्य राजमहल जिसके आठ खंड है ! इसके तीन खंड अन्दर जमीन में हैं तथा चार खंड ऊपर हैं !राजमहल का प्रवेश द्वार पार करने के बाद करने के बाद राजमहल के कक्ष और सीढियाँ है तथा आगे जाने पर भव्य आँगन जिसके चारों तरफ कमरे और दालान बनी हुई हैं ! महल का आंतरिक भाग काफी बड़ा और वर्गाकार है!महल में राजा रानी का कक्ष , राजकुमारों के कक्ष , राजा का दीवाने आम और बंदी गृह भी बने हुए है ! महल के आँगन में हनुमान जी का एक मंदिर था जो अब टूट गया है ! और हनुमान जी गिद्धवाहिनी देवी जी के मंदिर में चले गए हैं ! आँगन में ही एक विशाल वेदी बनी हुयी है जहाँ राजा महापूजा करता था ! राजकुमारी केशर दे का जौहर स्तम्भ भी आँगन में रखा हुआ है ! महल के नीचे के तल से एक सुरंग महल के बाहर कुंए तक जाती है इस कुंए को जौहर कुआं भी कहते हैं ! क्योंकि जब खंगार राजा और मोहम्मद तुगलक के बीच लड़ाई हुयी और कुंडार के राजा युद्ध में मारे गए तब राजमहल की रानियों और राजकुमारी केशर दे ने इसी कुंए में आग जलाकर अपने प्राणों की आहुति दी थी !
राजमहल के बाद गढ़ कुंडार में गिद्ध वाहिनी देवी का मंदिर , सिंदूर सागर ताल, गजानन माता मंदिर, मुडिया महल , खजुआ बैठक सिया की रावर भी दर्शनीय स्थल हैं ! गढ़ कुंडार में खंगार राजवंश के संस्थापक महाराजा खेत सिंह खंगार की जयंती २७ दिसम्बर को प्रति वर्ष मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है जिसमे विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और बड़ी संख्या में देश के कोने कोने से लोग महाराज खेत सिंह खंगार की जयंती मानाने यहाँ आते हैं !
द्वारा :-
अशोक सूर्यवेदी
मो. ९४५००४०२२७
नि. मिनी विला, शिवगंज मऊरानीपुर
झाँसी
द्वारा :-
अशोक सूर्यवेदी
मो. ९४५००४०२२७
नि. मिनी विला, शिवगंज मऊरानीपुर
झाँसी


thanks
जवाब देंहटाएंThank you very much for this post .I have read the novel Garh Kundar from then I was very much interested in this place.I searched Wikipedia for Garh Kundar but there is very little material on this place.Please update these details there also
जवाब देंहटाएंI really appreciate your work and hope you will keep updating this blog
Thanks again
jai grah kundar jai khangar
जवाब देंहटाएंmujhe apne khangar samaj aur khangar hone par garv hai. aur me sabi khangar bandhuo ko pranaam karth hu.
जवाब देंहटाएंthanks a lot for this post
जवाब देंहटाएंi visited this last month on 23-10-2014 ....a wonderful place,,,plz tell more about princess KESAR DE ....wher i can find the novel of V.L.VERMA ?
जवाब देंहटाएंplz tell ...isko bouna chor ka qila kyo kahte hain ?
जवाब देंहटाएंबहुत ही रुचिकर जानकारी प्राप्त हुई आपसे , आपके कार्य सराहनीय है ,
जवाब देंहटाएंbahut achha likha hai
जवाब देंहटाएंThis is very good
जवाब देंहटाएंhow to go by public transport from jhansi pl help.
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